Sunday, March 21, 2010

गर ख़ुदा

गर ख़ुदा है ख़ुदा, सुन ले तू ये सदा
माफ़ करना मुझे, पर बता है कहाँ
ढूँढा तुझे हर जगह, ना मिला तू ख़ुदा
गर ख़ुदा तू है खुदा, सुन ले तू ये सदा

मंदिर मे गया, मस्जिद मे गया, ढूँढा तुझको गिरजा घर में
उपदेश सुने, पूजा भी करी, किया जगह जगह मैने सजदा
पर भूल गया मैं ये सृष्टी.....
पर भूल गया मैं ये सृष्टी, हर कण मे तू है बसा

गर ख़ुदा है ख़ुदा, सुन ले तू ये सदा

बड़े दान किए, एहसान किए, किए दिखा दिखा मैने तीरथ
ढूँढा तुझको यूँ जगह जगह, देखा नहीं अपने भीतर
सच भूल गया हूँ मैं करुणा.....
सच भूल गया हूँ मैं करुणा, निष्ठा, प्रेम और दया


गर ख़ुदा है ख़ुदा, सुन ले तू ये सदा
माफ़ करना मुझे, पर बता है कहाँ
ढूँढा तुझे हर जगह, ना मिला तू ख़ुदा
गर ख़ुदा है खुदा, सुन ले तू ये सदा
सुन ले तू ये सदा
सुन ले तू ये सदा...



3 comments:

  1. प्राण जी,

    बहुत सुन्दर रचना है आपकी। इसका संगीत और फ़िल्मांकन तो और भी प्रभावी है।
    आगे भी आपकी रचनायें पढने और सुनने को मिलेगी ऐसी आशा है।
    शुभकामना सहित,
    अमरेन्द्र

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  2. badi hi achi awaaz kanon mein goonji......keep it up...
    anil

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